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सावां गीत / 4 / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सब याही आया वोते एक याही नी आया!
लाव कटोरी काटो नाक, लाव विचारा नो ढाकूं नाक!
डांडे-डांडे उतरवो बाई छछूंदरी,
काल-गान चोटी कातरवो बाई छछूंदरी!!

-सावां लाने वालों के लिए गीत में कहा गया है कि- सभी समधी भाई हैं, कटोरी
 लाओ! इनकी नाक काटूँ और कटी हुई नाक ढाँक दूँ। छछूंदर से कहती है कि-
तू छत की लकड़ियों के सहारे नीेचे उतर। सावां लाने वालों में से किसी की चोटी
कतर डाल।