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सावां गीत / 5 / भील
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तारो माटी रामस्यो धवल्या-धुरी मंगाया।
खांड्या-मेंड्या क्यांे लाया रे।
बइल्या छोड़-बइल्या छोड़ ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो चाउल-चोखा मंगाया।
टेमरा क्यों लायो रे ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो सकर मंगाड़ी,
गूले क्यों लायो रे ढेड्या।
तारो माटी रामस्यो घींवे मंगाइयो।
तेले क्यों लायो रे ढेड्या।
-सावां लाने वाले से स्त्रियाँ कहती हैं- रामसिंह ने अच्छे सफेद और सुन्दर बैल
जोतकर लाने को कहा था। तुम सींग टूटे, सींग मुड़े बैल क्यों लाये हो? इन बैलों
को छोड़ दो। रामसिंह ने चावल बुलाये थे, तुम टेमरू ले आये। शक्कर बुलाई थी, तुम गुड़ ले आये। घी मँगवाया था, तुम तेल क्यों ले आये? इस तरह विभिन्न भोज्य सामग्रियों के लिए कहा जाता है।