मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सासु हमर रहे पक्का महल में, उनखा<ref>उनको</ref> देहु<ref>दो</ref> बोलाइ।
हमरा भेलइ<ref>हुआ</ref> नंदलाल, सुने ना कोई रे॥1॥
गोतनी हमर रहे सीस सहल में, उनखा देहु बोलाइ।
हमरा भेलइ हे गोपाल, जगे ना कोई रे॥2॥
ननद हमर हे महल अटारी में, उनखा देहु बोलाय।
हमरा के भेल हे होरिलवा<ref>शिशु</ref> जगे ना कोई, सुने ना कोई रे॥3॥
सामी हमर हथ<ref>है</ref> मालिन के सँग, उनखा देहु बोलाय।
हमरा के भेल नंदलाल जगे न कोइ, सुने ना कोई रे॥4॥
शब्दार्थ
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