भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सासू तो बीरा चूले की आग / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सासू तो बीरा चूले की आग
ननद भादों की बीजली
सौरा तो बीरा काला सा नाग
देवर सांप संपोलिया
राजा तो बीरा मेंहदी का पेड़
कदी रचै रे कदी ना रचै