साहब / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'
आओ आओ-आओ साहब!
अपना रंग जमाओ साहब!
कँटे जी को प्यास लगी है
रक्त फूल का लाओ साहब!
ये दीवान शहर के अपने,
इनके पाँव दबाओ साहब!
लेक लाज की चिन्ता छोड़ो,
नंगा नाच नचाओ साहब!
म्ंत्री जी जब भी मिल जायें,
चरणों पर गिर जाओ साहब!
शान्ति जागरण जब-जब देखो,
घर घर आग लगाओ साहब!
रिश्वत बेगम से लव कर लो,
ईलू ईलू गाओ साहब!
बत करो पर जरा ठहर कर
पहले पान बढ़ाओ साहब!
अधिकारी अधिकार दिखाये,
उसको नोट दिखाओ साहब!
दर्पण तो यह हरिश्चन्द्र है,
तोड़ो इसे गिराओ साहब!
मर्जी है सब नेक आपकी,
चाहे जिसे हटाओ साहब!
मैं मन्त्री का राम दुलारा
मुझे न यो धमकाओ साहब!
नेताओं की बस्ती है,
मुझे न इधर बुलाओ साहब!
मैं इन्हे दीपक का प्रेमी,
तुम मरकरी जलाओ साहब!
मैं सूती खद्दर वाला हूँ,
मत रेशम पहनाओ साहब!
मैं पूजक हूँ नीति न्याय का
मुझसे मत टकराओ साहब!
कालेज में बेटी पढ़ती है,
थोड़ी मूँछ रखाओ साहब!
काला और सफेद न देखो,
भर भर जेब कमाओ साहब!
लटक रहा ईश्वर का फनदा,
अपना गला बचाओ साहब!