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सिंग्याहीण / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
मत चास
धोळै दोपारां
दिवलो
गैली,
खूट ज्यासी नेह
सिंझ्या ढळयां पैली
मैं जाणूं
कर राखी तनैं
आकळ वाकळ
पीव री पीड़
पण
बिन्यां मिंचीज्यां
सूरज री आंख
कोनी आवै
पतिंगां री भीड़ !