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सिंझ्या रा बादळ / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
सावण री
सोन चिड़कली
सरन्नाटा भरै,
सिंझ्या रै
अकास माथै‘र
लारै-लारै
उणरी
सोनल पांख्यां
चिलकै
चमचम चमचम