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सिंधु की एक लहर जिंदगी / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

सिंधु की एक लहर जिंदगी।
बस पहर दो पहर जिंदगी॥

कब लहर से लहर आ मिले
कब न जाने बढें फ़ासले।
कोई जाने न किस मोड़ पर
जा के जाये ठहर जिंदगी।
बस पहर दो पहर जिंदगी॥

जिंदगी रात दिन की तरह
तरु महा और तृन की तरह।
वक्त की इस सियाह रात में
है सुहानी सहर जिंदगी।
बस पहर दो पहर जिंदगी॥

जिंदगी एक तूफान है
शाप है और वरदान है।
क्या पता कब कहाँ शीश पर
बन के टूटे कहर जिंदगी।
बस पहर दो पहर जिंदगी॥

रब रहे बंदगी ना रहे
जिंदगी जिंदगी ना रहे।
एक पल के लिये भी अगर
खुद से हो बेखबर जिंदगी।
बस पहर दो पहर जिंदगी॥