भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिगरेट और प्यार / विमलेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
दोनों ही
मार देते हैं धीरे-धीरे
फिर भी
यह आदत है
कि छुटती नहीं कभी
इस एक जगह
जान-बूझ
मरना चुनते हैं हम
और हमें दु:ख नहीं होता..