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सितारे झिलमिलाते हैं सवेरा होने वाला है / नज़ीर बनारसी

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सितारे झिलमिलाते है सवेरा होने वाला है
इन्हें देखो यही मज़दूर बुनकर हैं बनारस के
जिसे छू दें वही सोना ये वो टुकड़े हैं पारस के
ये हो जाते हैं बेदम शाम तक दम <ref>बनकारी की मशीन का दम</ref> के दबाने में
ये बातिन क़ब्र <ref>कृतिम कब्र</ref> के अन्दर बज़ाहिर कारख़ाने में
मुसर्रत दूर उन से रंज उनके पास रहता है
ये दुनिया बुनकरों की है यहीं इफ़लास <ref>गरीबी</ref> रहता है
ज़बाँ को आशना करते नहीं हर्फ़े शिकायल से
मुसीबत उनसे लड़ती है यह लड़ते हैं मुसीबत से
ख़ुशी का दिन जब आता है तो ये रंजूर <ref>दुःखी</ref> होते हैं
कोई तेहवार आता है तो ये छुप-छुप के रोते हैं
अगर बीमार पड़ते है दवा तक कर नहीं सकते
सितम ये है कि मरना चाहते तो मर नहीं सकते
क़फ़न आता है चन्दे से यहाँ के मरने वालों का
यही है आखि़री ईनाम सब कुछ करने वालों का
इन्हीं के ख़ूँ का गारा है हर ऊँची इमारत में
इन्हीं के ख़ून की रंगीनियाँ हैं बज़्मे इशरत में
इन्हीं आँखों की छीनी रोशनी रौशन मकानों में
इन्हीं की आह के शोले रक़्साँ <ref>नृत्य करते हुए</ref> रक़्सख़ानों <ref>नृत्य-घर</ref> में
नए सर से ज़माना करवटें अब लेने वाला है
चराग़े ऐश बुझने ही को है लौ देने वाला है
क़सम इन आँसुओं की दूर अँधेरा होने वाला है
सितारे झिलमिलाते हैं सवेरा होने वाला है

शब्दार्थ
<references/>