भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिनुरदानक गीत / चन्द्रमणि
Kavita Kosh से
शुभ-षुभ सुभग हमर अछि ललना
लगन सुमंगल बाजल बजना
पाहुन परम महान हे देरी जुनि करियौ
करियौ-सेनुरदान हे मनसँ सेनुरबियौ-षुभ
हमर धिया अछि फागुन चुनरी
निर्धन हाथमे सोनक मुनरी
लाल सेनुर भर मांग हे।। देरी जुनि....
हमर धिया अछि शरदक चाने
दुलहा माघक भोरक भाने
जोड़ी युगल गुण खान हे।। देरी जुनि.....
भरि चुटकी सेनुर सेनुराओल
सूतल भाग धियाकें जगाओल
दुलहा विष्णु समान हे।। देरी जुनी....
श्याम चिकुर बिच सेनुर लागल
नील गगन अरहूल फूलायल
खिरि गेल मंगल गान हे देरी जुनि करियौ
करियौ सेनुर दान हे मनसँ सेनुरबियौ।।