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सिन्दूरी आँच / नंदकिशोर आचार्य
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खुदी के ताप में पकता
धीरे-धीरे सिन्दूरी आँच
हो आता है चिनार
जलाती हुई नहीं
मेरी आत्मा में धँसी
कसक को
सेंकती-सी आँच मद्धम।
लो, यह तुम क्यों
सिन्दूरी हुई जाती हो !
(1985)