भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिन्दूरी आभा में / ठाकुरप्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सिन्दूरी आभा में

क्षण भर होकर निढाल


दुग्ध पुष्प-सी उज्ज्वल

मड़वे में हुई लाल


ब्याही मत समझो

मैं क्वांरी हूँ नन्दलाल