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सिन्दूरी आभा में / ठाकुरप्रसाद सिंह
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सिन्दूरी आभा में
क्षण भर होकर निढाल
दुग्ध पुष्प-सी उज्ज्वल
मड़वे में हुई लाल
ब्याही मत समझो
मैं क्वांरी हूँ नन्दलाल