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सिमरी के पात छलामली बहै बतास हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सिमरी<ref>सेमल</ref> के पात<ref>पत्ता</ref> छलामली<ref>झलमल; अन्य गीतों में ‘झलामली’ का प्रयोग हुआ है</ref> बहै<ref>बहती है</ref> बतास हे।
बेटा के बाप नगर पैसल, पैसल बजना बजाय हे॥1॥
बेटी के बाप थर थर काँपै, पति<ref>इज्जत; प्रतिष्ठा</ref> नहिं रहत हमार हे।
ई पती राखत इसर महादेब, जिनकर लाधल<ref>आरम्भ किया; ठाना</ref> बरियात हे॥2॥
मोकनी<ref>बिना दाँत या छोटे दाँतो वाला छोटे कद का हाथी; भोजपुरी में इसके लिए ‘मकुनी’ का प्रयोग होता है</ref> हथिया मड़बा बैठायब, जिरबा<ref>जीरे से</ref> रँगल दोनों ठोढ़ हे।
हथिया ओठगँनियाँ<ref>उसका सहारा लेकर</ref> बैठली बेटी कनियान बेटी, मोती छाक<ref>के समान</ref> ढरै नेना लोर हे॥3॥
लोरबो जे छोड़लो बेटी पबितर भेलै जँघिया, चाचाजी के हरल गेयान हे।
नबहिं महीना बेटी ओदर में राखलों, पिऐलों बतिसियो<ref>यहाँ अन्य गीतों में ‘बधिनिया’ या ‘सोरहिया’ का प्रयोग हुआ है। बत्तीस प्रकार की ओषधियों का मिश्रण, जिसके सेवन से प्रसूति के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इस मिश्रण को बतीसा कहते हैं</ref> दूध हे।
दूध पिऐलों बेटी एको नहिं राखल, परि गेल तपसिया के हाथ हे॥4॥

शब्दार्थ
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