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सिरफिरी लड़की / तुम्हारे लिए / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
एक वो सिरफिरी सी लड़की
कभी चुप रहती है और कभी कहती है।
तुम न होते तो मेरा क्या होता
उसकी बातों का यक़ीं नहीं मगर यूँ ही
दिल पे जब छाता है उसकी आवाज़ का सोज़
वो जो कहती है, उसमें कहीं सच होगा
वो दर्द है बस उसकी आवाज़ का दर्द
और अब किससे कहेगी तुम्हीं से कहती है,
उसकी आँखों मंे झाँककर सोचो
वो तुम्हारी है तुमसे नहीं तो किससे कहे
कह के रो ले और सिमटकर सो ले
तुमसे कहकर भी कुछ उसे न मिला
वो तुमसे मिलकर भी और क्या कहती
बात उसकी नहीं मेरी है और तुम्हारी है
उसकी नींदों के ख़ैरख़्वाह हो तुम
उसके ख़्वाबों का राज़दाँ हूँ मैं।