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सिर्फ़ अपने आप पर कुर्बान है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

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सिर्फ़ अपने आप पर कुर्बान है
कितना बौना औसतन इन्सान है

आदमी गर बेच दे ईमान को
ज़िन्दगी आसान ही आसान है

बाप शंकाकुल है अपनी सीख पर
और बेटा बाप पर हैरान है

भूख है लाचारगी है त्रास है
मुल्क है संसद है संविधान है

रुक नहीं सकता कभी लंका-दहन
पर अभी सोया हुआ हनुमान है