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सिर्फ़ आधा भरा जाम है / रंजना वर्मा
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सिर्फ़ आधा भरा जाम है
आँसुओं से भरी शाम है
चाँद बदली में है जा छुपा
पर हुआ दाग़ बदनाम है
बिक रही है खुशी भी मगर
चीज़ का हर अलग दाम है
इश्क़ की राह काँटों भरी
पाँव चलने में नाकाम है
छुप गयी चाँदनी ख़्वाब सी
अब अँधेरा है कोहराम है
बेवफ़ाई कभी की नहीं
पर लगा ये भी इल्ज़ाम है
ज़िन्दगी रब का भेजा हुआ
एक भूला सा पैग़ाम है