भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिर्फ़ कविता के लिए / सुनील गंगोपाध्याय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सुनील गंगोपाध्याय  » सिर्फ़ कविता के लिए

सिर्फ़ कविता के लिए यह जन्म, सिर्फ़ कविता के लिए
कुछ खेल, सिर्फ़ कविता के लिए बर्फ़ीली साँझ बेला में
अकेले आकाश-पाताल पार कर आना, सिर्फ़ कविता के लिए
अपलक लावण्य की शान्ति एक झलक,
सिर्फ़ कविता के लिए नारी, सिर्फ़
कविता के लिए इतना रक्तपात, मेघ में गंगा का निर्झर
सिर्फ़ कविता के लिए और बहुत दिन जीने की लालसा होती है
मनुष्य का इतना क्षोभमय जीवन, सिर्फ़
कविता के लिए मैंने अमरत्व को तुच्छ माना है ।

मूल बंगला से अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल