सिर्फ़ चमड़ी का यार होता है / सूरज राय 'सूरज'
सिर्फ़ चमड़ी का यार होता है।
हर बशर चर्मकार होता है॥
जब यक़ीं तार-तार होता है।
दर्द हर हद के पार होता है॥
नाज़ होता है दुश्मनी तुझपे
पीठ पर जब भी वार होता है॥
झूठ छल दुश्मनी नहीं आती
गांव वाला गंवार होता है॥
वक़्त ऐसी दुकान है जिसमे
एक-एक पल उधार होता है॥
आँख झुकती है अगर बेटे की
बाप भी शर्मसार होता है॥
मुस्तहक़ सच ही तालियों का नहीं
झूठ का भी मेयार होता है॥
काम कर ले मयान का लहजा
शब्द गर धारदार होता है॥
हैं शिकारी गुनाहगार हैं जो
बेगुनाह तो शिकार होता है॥
उम्र किस जेल में रखें आख़िर
वक़्त हर पल फ़रार होता है॥
दिल हो छोटा ज़बुान से जिसका
वो बड़ों में शुमार होता है॥
ख़ोट को भी तराश दे तेरी
दोस्त ऐसा सुनार होता है॥
आसमानों के देश में "सूरज"
जुगनुओं में शुमार होता है॥