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सिर्फ़ तुम्हारे लिये प्यार के गीत लिखे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दूर क्षितिज के छोर खड़ी जो
अमर रश्मियों से भर अँजुरी
सिर्फ तुम्हारे लिए प्यार के गीत लिखे॥
इंद्रधनुष-सा उगा नयन की कोरों से,
बही उर्मिला उपत्यका के छोरों से।
नयन नीर निर्मल मुक्ताएँ
सुख सुमनों से भर-भर गगरी,
यादें बासंती बहार के गीत लिखे।
सिर्फ तुम्हारे लिए प्यार के गीत लिखे॥
धड़कन की सरगम से जो पल-पल फूटे,
साँसों की लहरों पर वे वादे झूठे।
चितवन में आशाएँ हाथों में मेहंदी
अनुपम सतरंगी सिंगार के गीत लिखे।
सिर्फ तुम्हारे लिए प्यार के गीत लिखे॥
कोरा मन का पृष्ठ अधूरा रह जाता,
बिन बहार तन पतझड़ मौसम सह जाता।
मृदु सिहरन की यह मादकता
अंतर में है गहरी उतरी,
मैंने अपनी जीत हार के गीत लिखे।
सिर्फ तुम्हारे लिए प्यार के गीत लिखे॥