भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सिर्फ शब्दों से नहीं / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
सिर्फ शब्दों से नहीं,
बिना छुए उसे छूकर,
बिना चूमे उसे चूमकर
बिना घेरे उसे बाँहों में घेरकर,
दूर से उसे पँखुरी-पँखुरी खोलते हुए
बिना देखे उसे दृश्य करते हुए
मैंने उससे कहा।