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सिर झुका जीना कभी मरना नहीं सीखा / रंजना वर्मा

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सिर झुका जीना कभी मरना नहीं सीखा ।
प्यार सीखा पर घृणा करना नहीं सीखा।।

राह पर बढ़ते रहे हम आपदा में भी
लक्ष्य पाने तक कहीं रुकना नहीं सीखा।।

प्रेम की गंगा बहाई श्याम सुंदर ने
द्वेष अपनों से कभी करना नहीं सीखा।।

पाँव में छाले हमेशा ही पड़े उस के
रुक गया जो राह में बढ़ना नहीं सीखा।।

रात को करना प्रकाशित लक्ष्य जिसका है
दूसरों का देख सुख जलना नहीं सीखा।।

जो रहा मन में वही आया सदा मुख पर
पीठ पीछे ले छुरा चलना नहीं सीखा।।

दे गये धोखा हमें जो लोग अपने थे
क्या कहें हमने मगर बचना नहीं सीखा।।