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सिल-सिलोटी / अमरेन्द्र

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सिल-सिलोटी
अट्ठा गोटी
कुट-कुट बोलै
सुक्खा रोटी
चार मनोॅ के
एक्के कोठी
आँख छेकौ कि
ई कजरौटी
ना जी के
मोटका चोटी