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सिवसिंगार / पतझड़ / श्रीउमेश
Kavita Kosh से
सावन के महिना में होतै, सिवजी के पूरा सिंगार।
रंग-बिरंगी फूलोॅ के, बेलपातोॅ के लगतै अम्बार॥
हर सोम्बार उपास करी केॅ, धरतै सिव चरनों पर ध्यान।
सिवजी खुस होतै ओकरा पर करतै ओकरोॅ सब कल्यान॥