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सिशिल / पुष्पिता

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सिशिल
ज़मीन में जड़ें फेंके हुए
हस्तलिपि वृक्ष के तने का एक नाम है ।

शिल्पी उँगलियों की तराश से
जन्म लेता है
वृक्ष-तने के भीतर से
न जाने कितना सामान
प्रकृति के प्रतीक को
अपना कंठहार बनाये हुए
आफरों वुडैन क्राफ्टियन कल्चर की देवी-सिशिल ।

वृक्ष के तने की तरह तनी हुई
रेशे-रेशे की तरह मुलायम
काष्ठाग्नि प्रज्वलित है
जीवनोन्मुखी जिजीविषा की पर्तों में ।

जंगल-बीच
कलावृक्ष-सी अड़ी-खड़ी
बरसात में बरखा को पीती
समुद्र के सौंदर्य की सरल हार्दिकता की
संपत्ति को जीती
वह जानती है
ग्रीन-हार्ट या महोगनी जैसे
गठीले वृक्ष की जलविरोधी दीर्घजीविता
(ग्रीन हार्ट की लकड़ी पानी में नहीं गलती है)

किसी पत्थर या लौह के स्तंभ की तरह
जलधार बीच खड़ी
सभ्यता-पथ-सेतू संभाले
लकड़ी पर कला को उभारने वाली सिशिल
जानती है- काष्ठ का वृक्ष
वृक्ष का स्वप्न
स्वप्न की आंकाक्षा
आंकाक्षा में प्रिय के लिए स्वप्न ।

सूखी-लकड़ी की देह में
सिशिल जीती और उकेरती है ।
संसार की कला का सौभाग्य-सुख
ऋतुओं में कालिदास का ऋतुसंहार
इन्द्र का ऐन्द्रिक जाल
और प्रकृति का मादक-वसन्त
ग्रीन हार्ट-पूरा वृक्ष
जबकि-एक दिन में जीता है-वसन्त ।

मानव देह में प्रवेश हुई
मृत-देह की पापात्मा की छाया को
आँखों से सूँघती हुई
अपनी साँसों से झाड़ फेंकती है
कि जैसे-मानवीय काया के वृक्ष तने में
लगा हुआ कीड़ा हो- वह
पुण्यात्मा के प्रताप का पुष्प-फल
जिसे फलने से पहले ही नष्ट कर देती है - माया ।

जंगल के वृक्षों के हित में लगी
गाँव के भीतर मानव के अंदर
नीग्रो संस्कृति के वृक्ष लगाती
कि भावी पीढ़ी
वृक्षों के तने से बना सके
आफरों, संस्कृति को विश्व-संस्कृ ति
स्वप्रों को शब्दों में
और शब्द के अर्थ को
काष्ठ की देह में
कलाकृतियों के बहाने से ।

सादे-मोर्निंग पेपर की तरह
हर एक की हथेली के नीचे
पहुँच जाती हैं-उसकी आँखें
जिस पर कोई भी
अपनी स्वप्र गाथा लिख दे
जिसे वह,
'काराबासी' की कलाकृति का नमूना बना ले ।