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सींग / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
जेकरोॅ सींग खड़ा ‘खड़सिंगी’
जकरोॅ सिंगे नै-ऊ ‘मुडली’
‘धोंधरी’ घुंघरैलोॅ सींग वाली
दूध पिठाली मोटोॅ छाली
मुट्ठी भर सींग वाली ‘मुठिया’
जे रं माथोॅ पर दू चुटिया
‘चतरी’ जेकरोॅ तिरछोॅ सींग
धांगड़ नाँचै धिंग धिंग धींग।
जेकरोॅ लुरपुच सींग ऊ मौनी
सड़तौ दांत जों खैबे खैनी।