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सींव रो डर / राजूराम बिजारणियां

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छोरी
घेर ल्याई
अेकोअेक बकरयां
सींव में पण
उळझग्यो मन!

पांखीज्या सुपना
भरी उडार
जावणो चावै पार
सींव रै।

सींव..
तण‘परी
दिखावै डर
छोरी मुड़लै
पाछी घर.!