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सीकी कऽ बढ़नी हौ हाथ के लऽकऽ / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सीकी कऽ बढ़नी हौ हाथ के लऽकऽ
रानी बनसप्ति अंगना बहारैय।
चनन गाछ लग एलै बनसप्ति
हा सीताराम सीताराम बोली सुनैछै।
ऊपर नजरि बनसप्ति खीराबैय।
हौ सुगना पर आइ नजरिया पड़ि गेल।
आ छगुन-छगुन मन बनसप्ति करै छै
हाय नारायण हाय विधाता
हे ईसवर जी।
जहिया से एलीयै सतखोलियामे।
बहुत सुगना हमहु देखलीयै।
एहेन सन सुग्गा नइ कहियो देखलीयै
आ हमरा लगै छै भैया जी के
सुग्गा हीरामनि इएहे छीयै।