सीख ला विद्या चापलूसी / सिलसिला / रणजीत दुधु
हिंदी सीख ला अंगरेजी सीख ला, चाहे सीख ला उरदू फारसी
सभे भाषा बेकार हो जखने, सीखिला न´ भाषा चापलूसी
चापलूसी कर-करके कतना हो गेल आय महान,
जेकर किरती के आगे फीका हे सुरूज चान,
जे करतबनिष्ठ हला फाँकलका खुद्दी-भूसी
सीख ला विद्या चापलूसी-2
जे तोरा से बोलेले नय चाहो ओकरो करऽ परनाम,
नय चिनहला पर बार बार तों बतवऽ गाम आउ नाम
सबके जी हुजूरी करिहा हो अधिकारी या चपरासी
सीख ला विद्या चापलूसी-2
खुशी के मउका पैते ही हँस-हँस के बात मिलावऽ
गर दुख के माहउल हो आँख अँगुरी भोंक लोर बहावऽ
बढ़-चढ़ के खूब हाथ बँटावऽ जब भी हो बात जरा सी
सीख ला विद्या चापलूसी-2
सच के छोड़ जतना हो सको झूठ बोलेले तों सीख ला,
जात-पात से ऊपर उठ के किरिया खा-खा के भीख ला,
सभे धरम के तों अपना के बन जा असली भारतवासी
सीख ला विद्या चापलूसी-2
सच में साथ सभे तोर छोड़तो रह जयवा अकेला,
धरमराज युधिष्ठिर झूठ बोलके जितला महाभारत मेला,
गुरू द्रोणाचार्य प्राण छोड़लका धोखा दे देहे विसवासी
सीख ला विद्या चापलूसी-2
झूठे बोले के चलते भगवान श्रीकृष्ण कहयला छलिया,
कंस ऐसन पापी के मारलका खेले में नाग नथलका कलिया,
उनकर एक झलक से जीव के रहे नय अँखिया पियासी
सीख ला विद्या चापलूसी-2