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सीता का भविष्य / आभा पूर्वे

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सीता,
यह द्वापर
त्रोता को पार करते
कलिकाल तक आ गया
पर तुम
अब भी मुक्त नहीं हो
आॅफिस में रावण की आँखें
घर में राम की शंका
अब तो तुम्हारे लिए
धरती भी नहीं फटती
क्यों ?
क्या धरती भी
तुम्हारे विरुद्ध हो गई है
या धरती अब नहीं चाहती
कि सीता धरती में समाती रहे
सोचो सीता
जल्दी सोचो
तुम्हें क्या करना है ?