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सीता के चढ़त चढ़ाये / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भोला खों देख ना सुहानी
खड़ी रोवें आज मैना रानी।
अपने जियत बेटी इनखों न ब्याहो
ये तो भले भोला दानी।
खड़ी रोवें आज मैना रानी।
ऐसी बरात कभऊं देखे हम नैयां
लड़का महरिया डरानी।
खड़ी रोवें आज मैना रानी।
बेटी उमा तुमने कहना ना मानो
ऐसन खों तप करवे ठानी।
खड़ी रोवें आज मैना रानी।
पूरब जनम जो लिख दओ विधाता
बा ना टरे तुम हो सयानी।
खड़ी रोवें आज मैना रानी।