भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीधी-सी बात / पाब्लो नेरूदा / मंगलेश डबराल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शक्ति होती है मौन (पेड़ कहते हैं मुझसे)
और गहराई भी (कहती हैं जड़ें)
और पवित्रता भी (कहता है अन्न)

पेड़ ने कभी नहीं कहा :
'मैं सबसे ऊँचा हूँ !'

जड़ ने कभी नहीं कहा :
'मैं बेहद गहराई से आई हूँ !'

और रोटी कभी नहीं बोली :
दुनिया में क्या है मुझसे अच्छा'

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल