भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सीने पे पड़ा हुआ ये दोहरा आँचल / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
सीने पे पड़ा हुआ ये दोहरा आँचल
आँखों में ये लाज का लहकता काजल
तहज़ीब की तस्वीर हया की देवी
पर सेज पर कितनी शोख़ कितनी चंचल