सोचती रही
सुख है
यही सुख है
जब सीमा में थी
तोड़ दी जब सीमा
तो जाना
नहीं है सुख –कहाँ
कहाँ-
है सुख
तभी जाना।
सोचती रही
सुख है
यही सुख है
जब सीमा में थी
तोड़ दी जब सीमा
तो जाना
नहीं है सुख –कहाँ
कहाँ-
है सुख
तभी जाना।