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सीमा / धूप के गुनगुने अहसास / उमा अर्पिता

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मेरे जीवन के
प्रत्येक कोण का
केन्द्र बिंदु
तुम्हारे अस्तित्व का
हिस्सा बन गया है,
कितना सिमट गया है,
मेरी सोच का दायरा...!