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सीमा / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
ज़रूरत से ज़्यादा
चाहत किसी भी वस्तु की हो
बेशक वह निर्जीव हो या सजीव
हानि होती है
क्वांटिटी की बात न करो
क्वालिटी की करो
मगर कहां करते हो
हमेशा ज़्यादा और ज़्यादा की
डिमांड रखते हो ।
बस यही ख़तरा हैं
लिमिट में रहो
तो कोई ख़तरा नहीं
और दो पैग पीने की
सलाह तो अब
डॉक्टर भी देता है
ज़रूरी नहीं कि तुम
बोतल ही ख़ाली कर दो
चयन के लिए मनन कर लो
फ़ायदा कहां है
यह जान लो