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सीसाड़ो / अम्बिका दत्त
Kavita Kosh से
आपन’
कदी मीठा तेल को दियो बळती बेरां,
बाती की चरड़-चरड़ सुणी छै ?
बस ।
उतनो सो ही छै
जीवता रहबा को सीसाड़ो