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सुँदर बदन राधे सोभा को सदन तेरौ / मतिराम

सुँदर बदन राधे सोभा को सदन तेरौ ,
बदन बनायो चारि बदन बनाय कै ।
ताकी रुचि लैन को उदित भयो रैनपति ,
मूढ़मति राख्यो निज कर बगराय कै ।
मतिराम कहै निसिचर चोर जानि याँहि ,
दीनी है सजाय कमलासन रिसाय कै ।
रातौ दिन फैरे अमरालय के आस पास ,
मुख मे कलँक मिस कारिख लगाय कै ॥


मतिराम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।