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सुंदरदास / परिचय
Kavita Kosh से
सुंदरदास का जन्म जयपुर के द्योसा ग्राम के एक वैश्य परिवार में हुआ। बालपन में ही दादू दयाल का दर्शन हुआ और उनके शरणापन्ना हो गए। इन्होंने 18-19 वर्ष तक काशी में विद्याध्ययन किया और फतेहपुर में 12 वर्ष तक योगाभ्यास। यहीं इन्होंने 40 ग्रंथों की रचना की थी, जिनमें प्रेम, भक्ति, योग, वेदांत और नीति का सम्मिश्रण है। निर्गुण-पंथी संतों में 'कवि सच्चे अर्थों में सुंदरदास ही हैं। भाषा, भाव, छंद, अलंकार सभी दृष्टि से इनकी कविता खरी उतरती है। 'सुंदर ग्रंथवाली नाम से दो खंडों में इनकी समस्त रचना प्रकाशित हुई है। इन्हें शांत रस का कवि कहा जाता है।