भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुआ गीत-2 / छत्तीसगढ़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना
तिरिया जनम झन देव
तिरिया जनम मोर गऊ के बरोबर
रे सुअना
तिरिया जनम झन देव
बिनती करंव मय चन्दा सुरुज के
रे सुअना
तिरिया जनम झन देव
चोंच तो दिखत हवय लाले ला कुदंरु
रे सुअना
आंखी मसूर कस दार...
सास मोला मारय ननद गारी देवय
रे सुअना
मोर पिया गिये परदेस
तरी नरी नना मोर नहा नारी ना ना
रे सुअना
तिरिया जनम झन देव...