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सुखी लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
पूंजीपति लोग
पूंजी को पूजते हैं
शोषण करते हैं
ढोंग रचते हैं
धर्मशाला बनवाते हैं
रक्त शिविर लगवाते हैं
धर्मार्थी बनते हैं
टैक्स चोरी करते हैं
प्रभु उनका सहयोगी है
उनको दोनों हाथ से देता है
तभी तो
कार में वह सवार है
सुखी आदमी ।