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सुख-दुख / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
सुख
दुख रै
घाव पर
आयोड़ो खरूंट
चालै मीठी झोय
पण जे नहीं
राखसी संजम
हुज्यासी पाछो
हरयो जखम !