सुख क्या है ? / भारत यायावर
चुराते हैं प्रेमी दिल और मन
कवि चुराते हैं भाव और विचार
वैज्ञानिक चुराते हैं सूत्र और प्रयोग
बनिए चुराते हैं एक-एक दमड़ी
पंडित चुराते हैं कितने ही श्लोक
नेता चुराते हैं गांधी की टोपी
चोरों के लिए क्या बचा था जो चुराते
सिर्फ़ चुराते जीने भर रोटी
और उन्हें जेलों में बन्द कर दिया जाता
बाक़ी चोर जेलों के बाहर होते
कोई अभियोग नहीं लगता
कानून उनकी सुरक्षा करता
(मैंने एक आरक्षी-अधीक्षक को
सुनाया यह सब
वह मुस्कराया सुनते हुए
फिर हँसा ठठाकर
मेरी बकवास पर!
मैंने बात बदली
और एक कहानी सुनाकर
चोरी को एक नया आयाम दिया ।)
एक आदमी जबसे आदमी बना
दिन-रात भटकता सुख चुराने
पहले उसने धन चुराया
सुख नहीं मिला
प्रभुता और गरिमा चुराई
सुख नहीं मिला
घर-परिवार में खपाया
सुख नहीं मिला
मंदिरों में गया
सुख नहीं मिला
सब कुछ चुराया
सुख नहीं मिला
और बग़ैर सुख पाए चल बसा
अब वह पूरी दुनिया में भटक रहा है
थोड़ा सुख चुराने
ऎसा वह चोर!
(मैंने आरक्षी-अधीक्षक से पूछा--
आपने देखा है ऎसा चोर!
वे बहुत देर तक मौन रहे
फिर पूछा--सुख क्या है?)
सुख क्या है?
मन का परितोष
तन की परितृप्ति
दुनिया भर की उपलब्धि
दुखों से मुक्ति
ज्ञान का विस्तार
मोक्ष का विचार
जी भर कर खाना
पसर कर सोना
जी खोल कर हँसना
सिसक कर रोना
सुख क्या है?
ऎ तरह-तरह के चोरों
चुरा लो, चुरा लो
थोड़ा सुख
थोड़ी ज़िन्दगी
चुरा सकते हो तो
या उस आदमी को
जो दिन-रात दुनिया भर में भटक रहा है
उसे सुख चुराने का
गुर बता दो
(रचनाकाल :1994)