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सुख हो तो अभिमान परखना होता है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
Kavita Kosh से
सुख हो तो अभिमान परखना होता है
गर्दिश में इंसान परखना होता है
ग़ैरों पर इल्ज़ाम लगाने से पहले
ख़ुद अपना ईमान परखना होता है
मिलने से पहले दिल शातिर है कितना
कितना है नादान, परखना होता है
उल्फ़त की तासीर समझने से पहले,
धड़कन का उनवान परखना होता है
जिसको हम दिल की दरबानी सौंपेंगे
है कितना शायान, परखना होता है