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सुख / राजेश जोशी
Kavita Kosh से
उपटे खुरचे लीपी छाबी
भीत पोतकर
मांडी सांझी
सब बैठे फिर गोल बाँधकर
सबने मिलजुल
गाया गाना
बीच दुखों में दुनिया भर के
अपना छोटा-सा
सुख
पहचाना।