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सुगना के हुक्-हुक् परान / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

झिम-झिम बदराँ अलापै छै तान,
ठसियैली धरती केॅ मिललै तरान,
झँझकी सें भेलै बिहान,
हाय दैया, सुगना के हुक्-हुक् परान!

नाँचै छै गाछ-बिरिछ नाँचै छै धान,
जोगै मचानी परजनरा किसान,
पुरबैयाँ झकझोरै जान,
हाय दैया, सुगना के हुक्-हुक् परान!

कजरैलोॅ सुरुज देव करिया असमान;
दिगपालें छौड़ै छै हाँची कमान,
फिन-फिन-फिन फुनसी के वाण,
हाय दैया, सुगना के हुक्-हुक् परान!

छपरी पर जमलोॅ छै कौबा नहान;
पिछुआरीं डिकलोॅ छै मूँसा के मान,
झगड़ै में मैना हरान,
हाय दैया, सुगना के हुक्-हुक् परान!