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सुगना जे हमरी अटारिया, रे सजनियाँ / करील जी

लोक धुन। ताल दु्रत जलद तीन ताल

सुगना जे हमरी अटारिया, रे सजनियाँ,
मीठे बोल बोलै ना।
मोरा आँगना रे पहुनमा अनमोल ऐलै ना॥1॥
नैन के कोठरिया में पुतरी पलंगिया,
हम बिछाय देबै ना।
डारि पलकन के चिकवा, पिया रिझाय लेबै ना॥2॥
जहिया से देखलौं सखि साँवरी सुरतिया,
सुधि भुलाय गेलै ना।
नेह नदिया में मनमा मोरा नहाय गेलै ना॥3॥
लोकवा के लाज सब प्रेम के अगनिया में,
जराय देलियै ना।
सब जग के जंजलवा विसराय देलियै ना॥4॥
मिटलै ‘करील’ सब चाह, छवि दुलहा,
हिया बसाय लेलियै ना।
प्रीति नदिया में ममता-लता, भँसाय देलियै ना॥5॥