भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुणा मेरा स्वामी जी सावण आयो / गढ़वाली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुणा मेरा स्वामी जी सावण<ref>सावन</ref> आयो।
रूण-झुणया<ref>रिमझिम</ref> वर्षा, घनघोर लाया।
दौड़ी दौड़ी कुयेड़ी<ref>कुहरा</ref>, डाडू मा आयो।
कुयेड़ी न स्वामी, अंधियारों छायो।

शब्दार्थ
<references/>