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सुणा हे जि सुणा / ओम बधानी
Kavita Kosh से
सुणा हे जि सुणा
रूमझूम बरखा कि लैगे लड़ि
लौंकी कुयेड़ि मेरि झुरि जिकुड़ि
घिरि-घिरि आंदि रिंगि-रिटि आंदि
काळि कुयेड़ी अंध्यारू कै जांदि
सुणा हे जि सुणा
चमकदि चाल गगड़ांदु ध्यौ
मेरू डरदु ज्यू
पापि नौकरि कु बिछड़ौ कर्यूं
त्वै बिन जीवन सुखु पड़्यूं
सुणा हे जि सुणा
औखि ह्वैन रात नि कटेंदा दिन
तुमारा बिन
भैर पणधारि, भितर अंसधारि
उठदू उमाळ हूक भारि
सुणा हे जि सुणा
पंछी बणी उड़ि एै जावा
भंडि न सतावा
उड़ि औंदु पर पंखूर बंध्यांन
बुथ्यायूं छ मन आंसू थाम्यांन
सुण सुवा सुण
प्यारि धीर धर आलु उ सुदिन
रौंला गैला गैल
सुणा हे जि सुणा
रूमझूम बरखा कि लैगे लड़ि
लौंकी कुयेड़ि मेरि झुरि जिकुड़ि