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सुणौं किणां नै कुण चाबै / रामस्वरूप किसान

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काठौ बूंट पैर नै चाबै
भूखौ ऊंट कैर नै
लाग्यौ भरूंट लैर नै चाबै
घी री घूंट जै‘र नै

बोदौ खेत बीज नै चाबै
हर सूं हेत खीज नै
पूग पछेत चीज नै चाबै
पड़-पड़ रेत कमीज नै

बोळौ ब्याज मूळ नै चाबै
आंधी भाज भतूळ नै
बादळ गाज धूळ नै चाबै
सूई आज सूळ नै

चिन्ता घणी शरीर नै चाबै
पांचू जणी फकीर नै
शक री कणी सीर नै चाबै
आप धणी तकदीर नै

पूनम घैण चांद नै चाबै
बूढौ डैण रांद नै
लोह री लैण कांध नै चाबै
सूअर दिन रैण सड़ांध नै

आज बाड़ खेत नै चाबै
आज राड़ हेत नै
करवौ हाड़ भेत नै चाबै
कुळती जाड़ सेहत नै

पौ रौ रठ्ठ चाम नै चाबै
आड़ू लठ्ठ काम नै
सरपंच सठ्ठ गाम नै चाबै
च्यारूं मठ्ठ राम नै

आज हाथ हाथ नै चाबै
आज बात बात नै
आज गात गात नै चाबै
सगळा स्यात रात नै।